Image intensifier fluoroscopy
Patient की internal structure की x-ray image को fluoroscopy imaging technique के माध्यम से live देखी जाती हैं। fluoroscopy machine technology के आधार पर निम्न प्रकार की होती है।
1. Direct vision fluoroscopy
2. Image intensifier fluoroscopy ( IITV )
3. Flat panel detector fluoroscopy
Direct vision fluoroscopy का उपयोग कुछ सीमित कार्य के लिए ही किया जा सकता हैं इसलिए direct vision fluoroscopy की जगह image intensifier fluoroscopy का उपयोग किया जाता है। यह एक technique होती है जिसमे closed circuit TV system तथा image intensifier होता हैं। इसलिए इसे IITV कहते है।
fluoroscopy image में maximum detail दिखाई देनी चाहिए अतः इस image की brightness अधिक होती है जिसके कारण maximum detail प्राप्त होती हैं। patient की anatomy , mA तथा kVp image brightness पर प्रभाव डालते है। इससे यह सपष्ट होता हैं कि हम mA तथा kVp में परिवर्तन करके image की brightness को भी परिवर्तित कर सकते है।
fluoroscopy examination में exposure time ज्यादा होता हैं जिससे patient का radiation dose भी बढ़ता है। exposure rate 200mR/min तक कम रखकर patient के radiation dose को कम किया जाता हैं। fluoroscopy में current output ( 1-5 mA ) कम होता हैं । तथा प्रत्येक second में 30 image बनती है। जबकि radiographic exposure में 100 से 200 mA तक current output होता है । यह current output fluoroscopic current output से बहुत अधिक होता हैं। कुछ ही x-ray photon fluoroscopy में single fluoroscopic image बनाने के लिए काम आते है। अतः x-ray photon की संख्या के आधार पर देखे तो fluoroscopic image , radiograph image से inferior होती हैं।
Deadman switch fluoroscopy machine को खास बनाता है। hand switch या foot pedal को दबाकर continuous x-ray beam को प्राप्त किया जाता है । exposure को terminate ( समाप्त ) करने के लिए pedal या स्विच पर pressure release किया जाता है।
image intensifier ( 2nd tube )
Patient से आने वाली exit radiation को image intensifier tube visible radiation में convert कर देता है। image intensifier में evacuated glass envelope होता है। यह vacuum bottle patient side की तरफ से 1 mm मोटे एल्युमीनियम की बनी होती है। यह surface aluminium कहलाती है।
इस surface को curved बनाया जाता है जिससे air pressure का प्रतिरोध कम हो जाता है। evacuated glass envelope के कारण इसकी size निश्चित होती है। इसका diameter range 23 - 57 cm होता है। glass envelope को metal container में रखा जाता है जिससे कि rough handling तथा damage से बचा जा सके ।
Image intensifier के चार होते हैं-
1. Input screen
2. Focusing electrodes
3. Anode
4. Output phosphor
1. Input screen
यह aluminium window के अंदर की तरफ होती है। यह तीन layers से बनी होती है।
(A) 2nd input window
यह सामान्यतः aluminum या titanium जैसी कम परमाणु क्रमांक वाले धातु की बनी convex substrate layer होती है। यह radiation beam को कम से कम attenuation के साथ image intensifier tube में आने देती है। साथ ही साथ यह tube में sensitive components को protection provide करती है तथा tube में vacuum बनाए रखती है।
(B) input phosphor
यह 200-400 micron मोटी होती है। sodium activated caesium iodide input phosphor के रूप में काम लिया है। इसकी 70-90 % x-ray absorption efficiency होती है। caesium iodide crystal में एक विशेष गुण होता है। इसके crystal जिनका diameter 5 mm होता है vertical needle के रूप में एकदम tightly packed होते हैं तथा fiber optic की तरह लाइट को forward direction में output screen की तरफ भेजते हैं जिससे light lateral spread भी कम होता है। caesium iodide crystal एक x-ray photon से blue light spectrum के लगभग 3000 light photon उत्पन्न करता है।
( C ) photocathode
Input phosphor से उतपन्न होने वाले light photon photocathode पर गिरते हैं। photocathode antimony caesium ( SbCs3 ) की layer से बना होता है। यह पतली layer होती है। यह input phosphor के अंदर की surface पर coated होता है। यह light photon को electron में करता है। antimony caesium ( SbCs3 ) blue light को absorb करता है। अर्थार्त caesium iodide से उत्सर्जित blue light के लिए spectral matching होती है। photocathode से प्रत्येक x-ray photon से 200 electron उत्सर्जित होते हैं।
Electron तेजी से anode की ओर गति करे इसके लिए input screen को anode की तुलना में ज्यादा high potential पर रखा जाता है। क्लीनिकल एप्लिकेशन के आधार पर input screen का diameter 150-400 mm तक होता है।
2. Focusing electrode -:
Anode के सापेक्ष input screen को negative potential पर रखा जाता है। input screen तथा anode के बीच D1, D2 तथा D3 इलेक्ट्रोड होते हैं। यह सामान्यतः metal rings होते हैं। इन्हें photocathode के सापेक्ष positive potential पर रखा जाता है। ये इलेक्ट्रोड्स इलेक्ट्रॉन को एक्सीलेरेट तथा output screen पर focus करते हैं। image intensifier tube की lenght almost 50cm होती है तथा photocathode व anode के बीच का विभवांतर 25kv होता है। इलेक्ट्रॉन high velocity तथा energy के साथ input phosphor की image को लेकर anode पर आते हैं। अतः इलेक्ट्रॉन energy प्राप्त कर एक minified , inverted image output phosphor पर बनाते हैं। image intensifier की curved nature होने के कारण electron focusing को बढ़ावा मिलता है लेकिन इससे pincushion distortion उत्पन्न होता है।
3. Anode
यह गोल प्लेट होती है जिसके अंदर होता है। इस hole के द्वारा electron output phosphor की अंदर सतह पर 2 mm मोटे aluminium को coating करके बनाया जाता है । यह सुचालक होता है तथा इसका विभवांतर input screen से 25kv अधिक होता है । यह त्वरित इलेक्ट्रॉन को receive करने का काम करता है।
4. Output screen
Silver dopped zinc cadmium sulfide crystal ( ZnCd : Ag ) को output phosphor के रूप लिया जाता है। इसे output window की अंदर सतह पर dopped किया है । इसके phosphor की thickness 4-8 mm तथा इसका diameter 25-35 mm होता है। यह इलेक्ट्रॉन को absorb कर green light निकालता है। video camera green light के प्रति बहुत अधिक sensitive होता है। एक electron से 1000 light photon उत्पन्न होते हैं।