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Silver recovery method

Silver recovery method in hindi 

Radiology department में फ़िक्सर का कार्य फिल्मो से undeveloped एवं unexposed सिल्वर हैलाइड क्रिस्टल को  निकालना होता है। एवं डेवलपिंग के दौरान लेटेंट इमेज से बनी विसिबल इमेज को permanently fixed करना होता हैं। प्रत्येक फ़िल्म पर एक सिल्वर की परत चढ़ी होती है । फ़िक्सर के मुख्य कार्यो के दौरान darkroom में फ़िक्सर के टैंक में धीरे धीरे सिल्वर के कण टैंक के तले में सूक्ष्म मात्रा में बैठते जाते हैं। इन फ़िक्सर कंटेंट का amount इस बात पर निर्भर करता है कि सोलुशन में कितनी ज्यादा मात्रा में xray फिल्मे धोई जा रही है ।
  जितनी अधिक मात्रा में फिल्मो को डार्करूम में धोया जाता है। उतनी ही ज्यादा चांदी की मात्रा फ़िक्सर  सोल्युशन से प्राप्त होती है। जब बहुत ज्यादा मात्रा में सिल्वर फ़िक्सर सोल्युशन में हो जाते हैं तो इसके बाद इस सोल्युशन से और अधिक फिल्मो की फिक्सिंग नही की जा सकती है । जब फ़िक्सर सोल्युशन में सिल्वर की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती ह तो इसे हाइपोसोल्युशन कहते हैं हाइपोसोलुशन में सिल्वर की मात्रा 6-10 ग्राम/लीटर होती है । इसकी सांद्रता जांच करने के लिए silver Estimation(चांदी आकलन) पेपर का प्रयोग किया जाता है। silver estimation paper की मदद से सांद्रता जांच करना बहुत आसान है इसके लिये  एक छोटा सिल्वर estimation paper लेते हैं तथा इसको हाइपोसोलुशन में डुबोते है जिसके कारण इस पेपर का रंग बदल जायेगा ।
  इसके बाद इस रंग की तुलना कलर चार्ट से कर ली जाती है तथा सांद्रता ज्ञात कर लेते हैं । इसके द्वारा सांद्रता ग्राम/लीटर में ज्ञात होती है ।  इसमे बहुत कम समय लगता है। सिल्वर एक कीमती धातु होती है,  तथा इसका jewellery, डेंटिस्ट्री, फोटोग्राफी, मिरर्स, ऑप्टिकस तथा इंडस्ट्रीज में बहुत ही व्यापक रूप से उपयोग होता है । अतः सिल्वर की रिकवरी इंडस्ट्रियल, केमिकल व इकोनॉमिकल रूप से फायदेमंद होती है |एक फोटोग्राफी फिल्म की कीमत का अधिकांश भाग सिल्वर का होता है ।
फ़िक्सर सोल्युशन से सिल्वर रिकवरी निम्नलिखित विधियों द्वारा की जाती है

1. Metallic replacement method 

इस प्रकार की सिल्वर रिकवरी मेथड के अनुसार फ़िक्सर सोल्युशन में मैटेलिक replacement एजेंट  आयरन , जिंक , कॉपर आदि मिलाये जाते हैं। तथा साथ ही साथ 5-6% नाइट्रिक एसिड भी मिलाया जाता है। इस विधि में सोल्युशन का ph लेवल 5-7 होना चाहिए। 
इस विधि की सहायता से लगभग 98% सिल्वर रिकवर हो जाती है । मेटैलिक रिप्लेसमेंट एजेंट ( Fe , Zn , Cu ) के द्वारा फ़िक्सर परस्पर क्रिया के फलस्वरूप सिल्वर के कण अलग अलग होने लगते हैं। यह सिल्वर रिकवरी की पर्याप्त विधि होती है । यह पूरी प्रक्रिया 50-60 मिनट में पूरी कर ली जाती है । तथा इस दौरान सोल्युशन का तापमान 90°C होना चाहिए। इस विधि को  cementation process भी कहा जाता है ।

2. Electronic method 

इस विधि के द्वारा पूर्ण रूप से ऑटोमैटिक या अर्धऑटोमैटिक मशीन के द्वारा फ़िक्सर सोल्युशन से सिल्वर को रिकवर किया जाता है । इस विधि के अंदर एक बड़ा टैंक होता ह जिसके अंदर हाइपोसोल्युशन भरा होता है । इसी टैंक के अंदर  एनोड तथा कैथोड लगे होते हैं । एनोड कार्बन या ग्रेफायड का बना होता है तथा कैथोड स्टेनलेस स्टील या मिश्र धातु की प्लेट का बना होता है । इस टैंक के अंदर इलेक्ट्रिक धारा प्रवाहित कीया जाता है जिसके पश्चात सिल्वर के कण electrolytic recovery unit में उपस्थित स्टेनलेस प्लेट की ओर आकर्षित होने लगते हैं । इस विधि के द्वारा भी 98% सिल्वर रिकवर किया जाता है । इस प्रकार की विधि का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जंहा पर हाई वॉल्यूम में फ़िक्सर का उपयोग हो रहा हो अथार्त अधिक  फिल्मो की प्रोसेसिंग की जा रही हो । 

3. Chemical method 

इस विधि में सिल्वर को रिकवर करने के लिये केमिकल/रसायन का प्रयोग किया जाता है । इन रसायनों में सल्फाइड का प्रयोग किया जाता है । सामान्यतः sodium sulphied , potassium sulphide , boro-hydride , sodium dithionite का प्रयोग किया जाता है । इन रसायनों को हाइपोसोलुशन में मिलने पर मैटेलिक सिल्वर "गाज " के रूप में फ़िक्सर सोलुशन के टैंक के तल में बैठ जाते हैं । इसके बाद इस मेटैलिक सिल्वर को फ़िल्टर पेपर की सहायता से छानकर अलग कर लेते हैं । तथा इसे पिघलाकर ईंटो के रूप में ढाल लेते है । जिससे चमकदार सिल्वर प्राप्त होती है ।