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Basic x-ray circuit / x-ray generator circuit

Basic x-ray circuit / x-ray generator circuit

X-ray generator , transformer तथा rectifier के उपयोग से xray tube के लिये dc वोल्टेज जनरेट करता है । 
Operate console, kvp  and ma control, exposure time selection , kv and ma milimeter, primary and secondary switching, filament transformer, automatic exposure control circuit (AEC) , space change and voltage compensation circuit, exposure timer, आदि generator के भाग होते हैं । 
Basic x-ray circuit



1. Filament circuit 

Filament circuit x-ray tube के फिलामेंट में विधुत करंट या धारा का कंट्रोल करता है । फिलामेंट को गर्म करने के लिये ज्यादा पावर की आवश्यकता नही होती है । 3-5 amp धारा तथा 10 volt फिलामेंट को गर्म करने के लिये सप्लाई किया जाता है । फिलामेंट से निकलने वाले इलेक्ट्रान की संख्या को परिवर्तित करके tube करंट को परिवर्तित किया जा सकता है ।
Filament circuit



  फिलामेंट के temprature को परिवर्तित करके इलेक्ट्रॉनों की संख्या को परिवर्तित किया जा सकता हैं। इसलिये फिलामेंट करंट को रेगुलेट करने के लिये फिलामेंट सर्किट जोड़ा जाता है । xray tube को गर्म करने के लिये पावर एक छोटे स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर से दी जाती है । फिलामेंट directly इस स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी वाइंडिंग से जुड़ा होता है । फिलामेंट ट्रांसफॉर्मर की प्राइमरी वाइंडिंग AT(autotransformer) से उपयुक्त taping की सहायता से वोल्टेज प्राप्त करता है । फिलामेंट ट्रांसफार्मर को सामान्यतः उसी oil filled metallic tank में रखा जाता है । जिसमे high वोल्टेज ट्रांसफार्मर को रखा जाता है । यह  टैंक फिलामेंट के प्राइमरी तथा सेकेंडरी coil को हाई लेवल इंसुलेशन उपलब्ध करवाता है । 

2. Kilo voltage circuit( primary circuit ) 

Xray tube के किनारे पर लगा  kilo voltage सर्किट xrays की maximum एनर्जी तथा penetrating power का निर्धारण करता है। एक्स-रे की भेदन क्षमता को एक wide range में प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि ट्यूब के किनारों पर लगाया गया पावर या शक्ति छोटे छोटे स्टेप में परिवर्तित हो ।  किलो वोल्टेज सर्किट की सहायता से xray tube पर लगने वाली वोल्टेज को अनेक स्टेप  में चेंज कर सकते हैं ।
Kilo voltage circuit in hindi



 इस सर्किट में एक step-up transformer लगा होता है । यहां पर ऑटो ट्रांसफार्मर एक Kvp सेलेक्टर होता है ।  प्राइमरी कॉइल के किनारों पर वोल्टेज ऑटो ट्रांसफार्मर में उपयुक्त turn/चक्र करो को सेलेक्ट करके परिवर्तित किया जा सकता है। यहां पर Kvp 40 से 150kvp तक पर परिवर्तित कर सकते हैं । step up ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी coil में फेरों की संख्या प्राइमरी कॉइल के मुकाबले अधिक होती है यह turn ratio लगभग 600 का होता है । सेकेंडरी coil के किनारों पर वोल्टेज 1500volt तक प्राप्त होता है इसलिए अधिकतम इंसुलेशन के लिए step up अप ट्रांसफॉर्मर को मेटैलिक टैंक के ऑयल में डुबोकर रखा जाता है।
हाई वोल्टेज सर्किट में दो मीटर जुड़े रहते हैं जिनमें 1 kv को मापता है तथा दूसरा ma को मापता है। यह मीटर कंट्रोल पैनल पर लगे होते हैं । लेकिन इनके कनेक्शन हाई वोल्ट सर्किट से होता है । वोल्टेज का मापन अप्रत्यक्ष तरीके से किया जाता है क्योंकि यह स्टेप अप ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी कॉइल के ऊपर लगा रहता है । तथा इसकी reading को ट्रांसफार्मर के ratio से मल्टिप्लाई/गुणा करके सेकेंडरी कॉइल के किनारों पर प्राप्त कर लिया जाता है ।  मिलिएम्पियर(ma) मीटर step up ट्रांसफार्मर की सेकेंडरी कॉइल पर लगा होता है । तथा इसकी earthing कर दी जाती है । अतः इन दोनों से शॉक नहीं लगता है।