Contrast
X-ray films पर ऑप्टिमम डेंसिटी में प्राप्त ब्लैकनेस एवं whitness का अनुपात कंट्रास्ट कहलाता है । एक अच्छी इमेज कंट्रास्ट पर निर्भर करती है । इससे किसी बीमारी के डायग्नोसिस में आसानी होती हैं ।यह दो प्रकार का होता है -
1 subject contrast
इस प्रकार का contrast एनाटॉमिकल स्ट्रक्चर की मोटाई पर निर्भर करता है ।तथा साथ ही साथ एनाटॉमिकल स्ट्रक्चर की डेंसिटी पर भी निर्भर करता है। यदि एनाटॉमिकल स्ट्रक्चर की डेंसिटी एवं एटॉमिक नंबर increase होगा तो रेडियोग्राफी कॉन्ट्रैक्ट भी increase होगा ।इस प्रकार का कॉन्ट्रास्ट सब्जेक्ट contrast कहलाता है।इसे रेडिएशन contrast भी कहते हैं । अर्थार्त एकसमान xray बीम द्वारा एकसमान मोटाई तथा अलग अलग घनत्व के ऑब्जेक्ट के कारण xray फ़िल्म की इमेज की डेंसिटी के अंतर को सब्जेक्ट कंट्रास्ट कहते हैं ।2. Film contrast
यह फिल्म की क्षमता पर निर्भर करता है तथा फिल्मों में प्रयुक्त होने वाले इमल्शन के प्रकार पर निर्भर करता है । high ability फिल्म में contrast भी उच्च स्तर का होता है । फिल्म की एबिलिटी का पता characteristics curve के द्वारा लगाया जाता है । फिल्मों की डेंसिटी तथा एक्स्पोजर का अनुपात characteristics curve कहलाता है।Contrast निम्न बातों पर निर्भर करता है -
1. Amount of radiation2. Age of solution
3. Temperature
4. Thickness of the patients
5. Sufficient x-ray machine
6. Using of different type of film
7. Using of different type of screen.