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Conductor insulator and semiconductor / चालक , कुचालक व अर्धचालक

Conductor insulator and semiconductor in hindi

Conductor ( सुचालक )

पदार्थो द्वारा विधुत धारा संचालित करने की क्षमता के माप को विधुत चालकता कहते हैं। विधुत चालकता के आधार पर पदार्थो को अलग अलग वर्गों में बांटा गया है जिनका अपना अपना महत्व एवं उपयोग होता है। ऐसे पदार्थ जिनमे अधिक संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं सुचालक पदार्थ कहलाते है। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉनिक चालकता के लिए जिम्मेदार होते है तथा ऐसे धातुओं की प्रतिरोधकता  बहुत कम होती हैं। चाँदी ( silver Ag ) विधुत धारा की अति उत्तम सुचालक पदार्थ होती है। इसके अलावा copper , Al , Hg मानव शरीर , क्षार एवं लवण आदि विधुत के सुचालक होते है। सुचालक पदार्थो में संयोजकता बैंड तथा चालन बैंड पास पास होते है। अतः ऐसे पदार्थो में विधुत क्षेत्र लगाने पर इलेक्ट्रॉन  extra energy ग्रहण करके चालकता बैंड में चले जाते है। इन गतिमान इलेक्ट्रॉन के कारण विधुत धारा का निर्माण होने लगता हैं। सुचालक पदार्थो में  forbidden gap ( ऊर्जा अंतराल ) नही होता है। अतः ऐसे पदार्थो में electricity प्रवाहित होने में आसानी रहती है । और ऐसे पदार्थ में अधिक विधुत क्षेत्र लगाने की आवश्यकता नही होती हैं।

Insulator ( कुचालक )

ऐसे पदार्थ जिनमे विधुत धारा एवं ताप का परिचालन अर्थार्त चालकता के गुण नही होते है कुचालक पदार्थ कहलाते है। इन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉन की संख्या न के बराबर होती है तथा इनका ऊर्जा अंतराल ( forbidden gap ) बहुत अधिक 6ev होता है। अतः बाहर से विधुत क्षेत्र लगाने पर भी संयोजकता बैंड के इलेक्ट्रॉन चालन बैंड में नही पहुंच पाते । क्योंकि यह external energy 6ev से कम होती है। लकड़ी , कांच , गन्धक , मोम आदि कुचालक ( insulator ) के उदाहरण है। इन पदार्थों का संयोजकता बैंड पूरी तरह से भरा रहता है तथा चालकता बैंड खाली   रहता  है।

Note -: 

हीरा कुचालको का अतिउत्तम उदाहरण है। जिसका ऊर्जा अंतराल सबसे ज्यादा 7ev होता है।

Semi-conductor ( अर्धचालक )

ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता सुचालक एवं कुचालक पदार्थो के बीच में होती है , अर्द्धचालक कहलाते है। जैसे सिलिकॉन जर्मेनियम , कार्बन , सिलेनियम आदि। परम् शून्य तापमान पर सभी अर्धचालक , कुचालक होते है। परंतु तापमान बढ़ाने पर कुछ  इलेक्ट्रॉन ऊर्जा ग्रहण करके संयोजकता बैंड से वर्जित अंतराल ( forbidden gap ) को पार करते हुए चालकता बैंड में चले जाते है। जिससे इलेक्ट्रॉन की अनुपस्थिति के कारण संयोजकता बैंड में Hole बन जाते है।  जिसमे संयोजकता बैंड पूरी तरह भरा हुआ नही होता हैं। अतः यह चालकता में योगदान दे सकता हैं। क्योंकि संयोजकता बैंड में बने Hole धनावेशित आवेश वाहकों की तरह कार्य करते हैं। चालकता बैंड में इलेक्ट्रॉन की संख्या तथा संयोजकता बैंड में holes की संख्या बराबर होती है।

Note -: 

जब अर्द्धचालको में 5 संयोजकता का फास्फोरस तथा 3 संयोजकता का बोरोन अथवा एल्युमीनियम मिलाया जाता है तो  इनको  N तथा P type के अर्द्धचालक ( semi-conductor ) कहते है। ऐसे सुद्ध अर्द्धचालक जिनमें अपद्रव्य न हो नैज अर्द्धचालक कहलाते हैं।