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Intensifying screen

Intensifying screen

Intensifying स्क्रीन  xray फोटोन को दृश्य प्रकाश (light photon) में परिवर्तित करती है। जिसके उपरांत यह  लाइट फोटोन रेडियोग्राफिक फ़िल्म से क्रिया करके लेटेंट इमेज का निर्माण करते हैं।इंटेंसिफयिंग स्क्रीन में कम एक्सपोज़र की जरूरत होती है जिसके कारण एक्सपोज़र टाइम भी कम लगता है तथा पेशेंट का मोशन इफ़ेक्ट भी कम होता है । xray फ़िल्म  दोनों ओर से इंटेंसिफयिंग स्क्रीन के बीच सैंडविच के रूप load होती है ।

intensifying screen  पर पड़ने वाली  xray का लगभग  35% भाग स्क्रीन से क्रिया करता है । कुल रेडिएशन का 1% भाग  फ्रंट द्वारा , 1% प्रत्येक इमल्शन की लेयर द्वारा तथा 0.6% रेडिएशन back इंटेंसिफयिंग स्क्रीन द्वारा अवशोषण किया जाता है। एक आदर्श इंटेंसिफयिंग स्क्रीन ही 100% रेडिएशन का अवशोषित कर सकती है। इंटेंसिफयिंग स्क्रीन  एक amplifier के रूप में कार्य करती है। बिना इंटेंसिफयिंग स्क्रीन के अच्छी क्वालिटी की इमेज प्राप्त नही होती है तथा मरीज को रेडिएशन डोज़ भी ज्यादा लगता हैं। अतः इंटेंसिफयिंग स्क्रीन का उपयोग  रेडियोग्राफिक कंट्रास्ट की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
इंटेंसिफयिंग स्क्रीन की निम्न चार परत होती है -

intensifying screen in hindi




1. Protective coating:-

प्रोटेक्टिव लेयर अधिकांशतया सेलुलोज को दूसरे प्लास्टिक Polymer में मिक्स करके बनाया जाता हैं | यह पारदर्शी लेयर होती है। तथा इस परत की मोटाई 15-25 माइक्रोमीटर होती है । एवं यह फ़िल्म के सबसे निजदिक स्थित होती है । यह लेयर स्क्रीन को कार्य  (cassette loading and unloading )  के दौरान बाहरी खोरोंचों (scratch)  से रक्षा करती है। तथा इस परत की सहायता से phospher लेयर को बिना हानि पहुचाये इंटेंसिफयिंग स्क्रीन की सफाई की जा सकती है ।तथा यह लेयर स्टेटिक इलेक्ट्रिसिटी को फ़िल्म तक पहुंचने से रोकती है ।

2. phospher layer

यह इंटेंसिफयिंग स्क्रीन की सबसे एक्टिव लेयर होती हैं । यह लेयर ही  xray फोटोन को लाइट फोटोन के रूप में कन्वर्ट करती है । इस लेयर की मोटाई स्क्रीन के प्रकार पर निर्भर करती है । जो कि 130-150 माइक्रोमीटर होती है।
फॉस्फर में निम्न गुण होने चाहिए
यह अधिक large atomic number वाला होना चाहिए।जिससे कि xray से क्रिया की संभावना अधिक हो। यह xray से क्रिया करके ज्यादा से ज्यादा लाइट फोटोन का निर्माण करने वाला होना चाहिए। निकालने वाले प्रकाश ( लाइट फोटॉन)   उचित तरंगदैर्ध्य का होना चाहिए। यह xray फ़िल्म की सेंसिटिविटी के अनुरूप होना चाहिए। वर्षो से चार पदार्थो को फॉस्फर के रूप में उपयोग लेते हैं -
 Calcium tungstate , Zinc sulphide , Barium lead sulphate , Gadolinium ,Lanthanum , Yttrium

3. Reflective layer 

फॉस्फर तथा बेस लेयर के बीच reflective लेयर स्थित होती है । यह लेयर लगभग 25 माइक्रोमीटर मोटी होती है।यह लेयर वाइट मेटेरियल मैग्नीशियम ऑक्साइड या टाईटेडिम डाइऑक्साइड से बनी होती है । जब xray फॉस्फर लेयर से क्रिया करती ह तो लाइट फोटोन सभी सम्भव दिशा में निकलते ह अधिकांश लाइट फोटोन xray फ़िल्म की दिशा में ही होते हैं लेकिन कुछ लाइट फोटोन फ़िल्म पर नही पहुंच पाते हैं जिससे कुछ इंफॉर्मेशन गायब हो सकती है ।इस दौरान रेफ्लेक्टिव लेयर इन लाइट फोटोन की दिशा फ़िल्म की ओर रिफ्लेक्ट(परिवर्तित) करती है । अतः रेफ्लेक्टिव लेयर इंटेंसिफयिंग स्क्रीन की दक्षता को बढ़ाती है।

4. Base layer 

यह लेयर फ़िल्म के सबसे दूर स्थित होती है । इसकी मोटाई 1mm होती है । यह फॉस्फर परत को support प्रदान करती है। यह लेयर कार्डबोर्ड  अथवा पॉलीस्टर की बनी होती है तथा इसमें dimentional stability का गुण पाया जाता है अर्थात बेस न मुड़ने वाला तथा न टूटने वाला होता है । बेस नमिरोधी होना चाहिए। बेस रासायनिक रूप से निष्क्रिय होता है ।