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Manual processing of x ray film

Manual processing of x ray film in hindi

जब xray फ़िल्म को expose किया जाता है तो xray फ़िल्म पर लेटेंट इमेज का निर्माण होता है। xray फ़िल्म पर  बनी इस लेटेंट इमेज को विज़िबल इमेज में बदलने के लिये फ़िल्म की प्रोसेसिंग की जाती है। यह इमेज हमेशा के लिए विज़िबल रहती हैं। तथा इसे बिना किसी क्षय के वर्षों तक रखा जा सकता है । xray फ़िल्म की प्रोसेसिंग डार्करूम के अंदर की जाती है ।
फ़िल्म प्रोसेसिंग की निम्न स्टेप है-

1. Exposure 

सबसे पहले xray फ़िल्म को एक्सपोज़ किया जाता ह जिससे कि लेटेंट इमेज का निर्माण होता है । इस लेटेंट इमेज को हम आंखों से नही देख सकते हैं ।

2. Prepration 

सर्वप्रथम  exposed xray फ़िल्म को डार्करूम में लाते है तथा प्रोसेसिंग सोल्युशन का तापमान चेक करते हैं । सभी केमिकल को हिलाया जाता है। डार्करूम में developer टैंक लेफ्ट साइड में , बीच मे rinsing टैंक तथा right साइड में फिक्सिंग टैंक होता है । developer को साबुन जैसी प्रकृति से पहचाना जा सकता है तथा फ़िक्सर को सिरके जैसी गंध से पहचाना जा सकता है । अब कैसेट को अनलॉक करते हैं । कैसेट के अंदर से फ़िल्म को निकलते हैं इस दौरान पूर्ण सावधानी बरतते है। अब फ़िल्म को ड्राई बैच  पर रख देते हैं तथा पेंसिल की सहायता से फिल्म के टॉप राइट हैंड कॉर्नर पर पेशेंट नेम और पेशेंट नंबर लिख देते हैं इसके लिए एक स्पेशल फिल्म मार्कर भी यूज में लिया जाता है। फिल्म की  size के अनुसार फिल्म को अब फिल्म हैंगर में रखने के लिए फिल्म हैंगर लेते हैं फिल्म हैंगर में क्लिप की सहायता से फिल्म को सेट करते हैं।

3.Development

अब डेवलपर  का ढक्कन हटाते हैं तथा  फिल्म हैंगर को डेवलपर टैंक में डालते हैं तथा फिल्म हैंगर को पकड़ कर फिल्म को 5 सेंटीमीटर दो से तीन बार ऊपर-नीचे करते हैं उसके बाद फिल्म को डेवलपर मैं ही छोड़ देते हैं डेवलपर  के तापमान के अनुसार फिल्म developing मैं कितना समय लगेगा यह तापमान समय सारणी के अनुसार टाइमिंग क्लॉक में समय सेट  कर देते हैं और क्लॉक को स्टार्ट कर देते हैं  developing का समय नीचे दी गई सारणी के अनुसार है
  इसी समय के दौरान अपने सूखे हाथों से एक फ्रेश फिल्म filmbox से लेते हैं उस फिल्म को खाली कैसेट में लोड कर देते हैं तथा कैसेट  को क्लोज कर देते हैं कैसेट को कैसेट  hatch मैं रख देते हैं अब कैसेट दोबारा यूज़ लेने के लिए तैयार है घड़ी की घंटी बजने पर फिल्म तैयार हो चुकी है डेवलपर से फिल्म को बाहर निकालने के लिए  अब फिल्म हैंगर को पकड़ कर डेवलपर टैंक से बाहर निकालते हैं ऐसा करते समय ध्यान रखना चाहिए की  डेवलपर की बूंदे बाहर  तथा fixer solution  मैं नए गिरे। इस प्रक्रिया में exposed सिल्वर  halide   ब्लैक मैटेलिक सिल्वर में बदल जाता है।
 यह एक अभिक्रिया होती है जिससे अदृश्य छवि या लेटेंट इमेज की दृश्यता लाखों गुना बढ़ जाती है। डेवलपर क्षारीय प्रकृति  का  होता है  तथा  डेवलपमेंट  की प्रक्रिया  क्षारीय माध्यम में होती है ।इसके अंदर महत्वपूर्ण क्रिया silver आयन  का अपचयन होना होता है जिससे कि यह ब्लैक मैटेलिक सिल्वर में बदल जाता है
Ag+ + e- = Ag
 डेवलपर के अंदर phenidon  होता है जिससे कि ग्रेन या तो पूरा डेवलप होता है या बिल्कुल भी नहीं डेवलपिंग की प्रक्रिया सिल्वर हेलाइड ग्रेन के सेंसटिविटी स्पैक पर शुरू होती है किसी सिल्वर हेलाइड ग्रैन मे उपस्थित मैटेलिक सिल्वर डेवलपर सॉल्यूशन को डेवलपिंग एक्शन शुरू करने के लिए प्रेरित करता है अगर किसी मैटेलिक सिल्वर युक्त  silver halide grain  लेटेंट इमेज नहीं हो तो भी वह डेवलपिंग प्रोसेस दर्शाता है लेकिन यह प्रोसेस बहुत ही धीमी होती है ।

4. Rinsing 

 फिल्म को डेवलपमेंट के बाद फिल्म  को rinsing के लिए  पानी में 30 सेकंड के लिए डीप किया जाता है तथा इन 30 सेकंड में फिल्म को तीन से चार बार ऊपर नीचे किया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे की फिल्म पर लगा डेवलपर सोल्यूशन फिक्सर सॉल्यूशन के अंदर मिक्स ना हो।  इसमें क्षारीय  माध्यम का अभाव होने के कारण डेवलपमेंट प्रक्रिया भी रुक जाती है।  अगर फिल्म को rinsing  न किया जाए तो  डेवलपर सोल्यूशन फिक्सर सोल्यूशन में मिक्स हो जाएगा तथा डेवलपर  की क्षारीयता और फिक्सर की अम्लता क्रिया  करके उदासीन हो जाएगा ।  जिससे फिक्सर सोल्यूशन  निष्क्रिय हो जाएगा जिससे कि फिल्म की हार्डनिंग पर प्रभाव पड़ेगा ।  जिस से की कुछ ही हफ्तों में ब्राउन स्टेन  बन जाएंगे।  ध्यान रखें की इस प्रोसेस में वाइट लाइट ऑफ तथा सेफ लाइट ऑन होनी चाहिए।

5.fixing and hardening

 अब एक्स-रे फिल्म को  फिक्सर टैंक में  रखा जाता है  जहां पर  फिल्म को  हार्ड या फिक्सिंग की जाति है फिल्म को  फिक्सिंग टैंक में  कम से कम  5 मिनट तक  रखा जाता है  यदि  5 मिनट से ज्यादा रखा जाए  तो भी  फिल्म पर  कोई  प्रभाव नहीं होगा। फिक्सिंग सॉल्यूशन अन एक्सपोज  तथा undeveloped
 सिल्वर हेलाइड क्रिस्टल को एक्स-रे फिल्म  इमल्शन से हटाता है तथा इमल्शन को हार्ड बनाता है ।

6. Final Washing

 अब 5 मिनट के बाद फिल्म हैंगर को पकड़कर फिल्म को फिक्सर टैंक से बाहर निकाला जाता है तथा फिल्म को लार्ज washing tank  मैं वाशिंग के लिए रखा जाता है अब डार्क रूम में वाइट लाइट को ऑन कर सकते हैं लेकिन ध्यान रखना होगा कि सभी एक्स-रे फिल्म बॉक्स के ढक्कन बंद हो तथा सभी कैसेट क्लोज हो और कोई अन्य एक्स-रे फिल्म प्रोसेसिंग में ना हो ।  वाशिंग प्रक्रिया से फिल्म पर उपस्थित प्रोसेसिंग सोल्यूशन हट जाएंगे जिससे कि लंबे समय तक फिल्म के कलर में कोई परिवर्तन नहीं होगा फिल्म को वाशिंग टैंक में 30 मिनट तक रखा जाता है।

7. Drying 

 यह फिल्म प्रोसेसिंग की अंतिम स्टेप है इसके दौरान फिल्म को फिल्म हैंगर की सहायता से पकड़ कर वॉशिंग टैंक  से निकाला जाता है तथा फिल्म हैंगर को क्लिप के सहारे drying  रैंक पर लटका देते हैं। फिल्म को सुखाने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करते हैं जहां का फर्श टाइल्स का बना हो ना की लकड़ी का या फिर फर्श में धातु की ट्रे लगी होनी चाहिए लकड़ी से बने  फर्श को सोल्यूशन की बूंदे खराब कर देती है। फिल्म को सुखाने के लिए फैन भी काम में लिया जाता है तथा कैबिनेट ड्रायर  मैं पंखे के साथ एक हीटिंग एलिमेंट भी लगा होता है। फिल्म को सुखाने के बाद क्लिप से उतारते हैं तथा फिल्म हैंगर से फिल्म को निकालते हैं । पेशेंट का नाम जहां पेंसिल से लिखा था वहां वाइट स्याही से  दुबारा लिखते हैं डेड एंड पेशेंट हॉस्पिटल नंबर भी लिखते हैं सुनिश्चित करते हैं कि फिल्म के ऊपर राइट साइड में R तथा लेफ्ट साइड में L क्लीयरली इंडिकेट हुआ है या नहीं।