construction of x-ray film in hindi
एक्स-रे फिल्म एक माध्यम है जो x ray के लिए exposed शारीरिक भाग की इमेज रिकॉर्ड करने के लिए काम आता है यह फिल्म सामान्यतः फोटोग्राफिक फिल्म के समान होती है रेडियोग्राफिक फिल्म में अंतर यह है कि इसके एक तरफ या दोनों तरफ रेडियोसेंसेटिव या लाइट सेंसिटिव इमल्शन पदार्थ का लेप या coating किया जाता है ताकि इसका प्रयोग इंटेंसिफाइंग स्क्रीन के साथ किया जा सके इसी रेडियोग्राफिक फिल्म के ऊपर हम एक्सपोज करके latent इमेज का निर्माण करते हैं तथा बाद में इसे प्रोसेसिंग के द्वारा latent इमेज को विजिबल इमेज में कन्वर्ट कर लेते हैं रेडियोग्राफिक फिल्म की structure निम्न प्रकार है
Structure of x ray film
अक्सर फिल्म का निर्माण निम्न layer या स्तर से होता है जो कि निम्न है -
यह x ray फ़िल्म का केंद्रीय या बीच का भाग ह जो दोनों ओर से फ़ोटोग्राफ़िक emulsion लेयर को सपोर्ट प्रदान करता है।
यह बेस भाग न मुड़ने वाला तथा न टूटने वाला होना चाहिए । यह किसी भी प्रकार के geometric distortion (तापमान , दबाव) सहन करने में सक्षम होना चाहिए ताकि इसकी प्रोसेसिंग की जा सके ।
बेस फ़िल्म को पारदर्शी , यूनिफार्म दृश्य बैकग्राउंड प्रदान करता हैं।
सर्वप्रथम x ray फिल्म प्लेट में एक कांच के बने बेस के दोनों ओर इमल्शन लेयर लगी हुई होती थी। लेकिन पहले विश्व युद्ध के दौरान belzium ने फोटोग्राफिक कांच की supply बन्द कर दी । तब पूरे विश्व मे xray फ़िल्म बेस की मांग उठने लगी।
1914 में पहली बार सेल्यूलोज ट्राईएसिटेट का फ़िल्म बेस के रूप में उपयोग किया गया । तथा 1924 तक पूर्ण रूप से सेलुलोज ट्राई एसिटेट का उपयोग बेस के लिये किया जाने लगा । सेलुलोज ट्राई एसिटेट एक ज्वलनशील पदार्थ ह ।इसलिए 1960 के दशक में पोलिस्टर बेस का निर्माण किया तथा वर्तमान में भी पोलिस्टर बेस का उपयोग किया जाता है। पोलिस्टर बेस की dimensional stability बहुत अच्छी होती हैं। फ़िल्म बेस एक पारदर्शी मेटेरियल होता ह। 1933 में पहली बार फ़िल्म बेस के अंदर ब्लू टिंट दिया गया जिससे कि रेडियोग्राफर की आंखों की थकान कम हो। ब्लू टिंट का use वर्तमान में भी किया जाता हैं । CTA( cellulose tri acitate) बेस की मोटाई 8 माइल्स तथा पोलिस्टर बेस की मोटाई 7 माइल्स होती हैं। जो कि 0.01इंच = 1माइल् होता है।